श्री सहस्रधाराभिषेक - रेणुका माता पूजन


जिस रेणुका माता ने इस परमात्मा को सर्वप्रथम मनुष्यमर्यादा धारण करके मनुष्य रूप में इस विश्व में प्रकट किया, उस माता रेणुका का पूजन करने के पीछे श्रद्धावानों का भाव यही होता है  कि, श्रद्धावानों की प्रार्थना यही होती है कि हे 

माते रेणुका, हे मातेश्वरी रेणुका, तू हमारे जीवनविश्व में इस परमात्मा को प्रकट कर।

रामनवमी के उत्सव में रेणुकामाता के  तांदळा का षोडशोपचारे पूजन किया जाता है। अभिषेक के लिए उपयोग किए जाने वाले विशेष अभिषेकपात्र को गाय के स्तनो जैसे अनेक नलिकायें होती है। उसमें से कई धाराएं बरसती हैं और उनके द्वारा रेणुकामाता के तांदळापर सहस्त्रधारा-अभिषेक किया जाता है, जिसे देखना एक ह्रदय को प्रसन्नकरने वाला अनुभव होता है। इन पूजा की विधियोंको देखते समय, रेणुकामाता को देखते समय जननी प्रेम उभर आता है।


सदगुरु श्री अनिरुद्ध का सहभाग
स्वयं बापू रेणुकामाता की आरती करते हैं और बापू को रेणुकामाता की आरती करते समय देखना, बापू के चेहरे से बहने वाला अतिउच्च मातृप्रेम का अनुभव करना जीवन की सबसे बड़ी बात है।
बापू का मातृप्रेम आँखे भर के देखने का यह अनुभव भी हमारे जीवन में रेणुका-परशुराम को, आदिमाता चण्डिका को और उसके पुत्र त्रिविक्रम को सक्रिय करने के लिए काफी है।
मातृतत्त्व ही सर्वप्रथम
माता रेणुका का वात्सल्य जैसे उस महाविष्णु परशुराम को मिला, उसने उसका अनुभव लिया,  वैसे ही हम सभी को मिले, इसके लिए रामनवमी के दिन होने वाले रेणुकामाता-पूजन का, साथ ही उसके दर्शन का लाभ हमें लेना होगा।

टिप्पण्या