रामनवमी उत्सव क्यों मनाएं?


रामनवमी उत्सव पिछले अनेक वर्षों से सद्गुरु श्री अनिरुद्ध के मार्गदर्शनानुसार श्रद्धावान मना रहे हैं। रामजन्म यह इस उत्सव का अहम समारोह है, फिर भी उसके साथ इस पावन पर्वपर श्रीहरिगुरुग्राम यहाँ पर सद्गुरु श्रीअनिरुद्ध के निर्देशानुसार सहस्रधारा अभिषेक के साथ रेणुकामाता का षोडशोपचारपूजन ही किया जाता है।

रामनवमी उत्सव और उस पवित्र पर्व पर संपन्न होने वाले रेणुकामाता साभिषेक अर्चन द्वारा परमपवित्र स्पंदनों का लाभ श्रद्धावान मित्रोंको मिल जाए यही सद्गुरु श्री अनिरुद्ध की इच्छा है।

श्रीसाईसच्चरित के छठे अध्याय में हम सद्गुरु श्रीसाईनाथ ने शिर्डीमें श्रद्धावानों की ओर से मनाई गई शिर्डी पहली रामनवमी उत्सव की कथा पढ़ते हैं। रामनवमी उत्सव मानाने के पीछे का प्रयोजन हेमाडपंतों ने लिखी हुई सुभाषितों से हमें समझता है।

‘करावा रामजन्मोपक्रम । लाधेल परम कल्याण ॥

यह सुभाषित रामनवमी का उत्सव मनाने के पीछे का उद्देश्य उद स्पष्ट करता है।

‘हमारे जीवन में जब तक राम प्रकट नहीं होता तब तक हमारा परम कल्याण नहीं होता।’

यह हमें यहाँ समझ आता है और ‘राम हमारे जीवन में प्रकट हो’ इसी लिए  साईनाथ यह उत्सव मनाकर लेते हैं, यह हमें समझ आता है। आगे उत्सव में रामजन्म में समय वैसा घटित भी होता है।

रामजन्माचिया अवसरी । गुलाल बाबांच्या नेत्राभीतरी ।
जाऊनि प्रगटले बाबा नरहरी । कौसल्येमंदिरी श्रीराम ॥

गुलालाचे केवळ मीष । रामजन्माचा तो आवेश । 
होईल अहं-रावणाचा नाश । दृर्वृत्ति-राक्षस मरतील ॥

- श्रीसाईसच्चरित 6/84, 85

‘अनिरुद्धमहावाक्य’ भी हमें ‘हमारे जीवन में राम का प्रकट होना कितना महत्वपूर्ण है’, यहस्पष्ट रूप से कहते हैं।

युद्धकर्ता श्रीरामः मम । समर्थः दत्तगुरु: मूलाधारः ।
साचारः वानरसैनिकोऽहम् । रावणवधः निश्चितः ॥
।। इति अनिरुद्धमहावाक्यम्।।

मेरे जीवन में मेरे लिए युद्ध करने के लिए ‘मेरा राम’ प्रकट होने से ही  दुष्प्रारब्धरूपी रावण और उसके दुर्वृत्तिरूपी निशाचार सेना का विनाश होता है। लेकिन उसके लिए ‘राम मेरा’ होना चाहिए और उससे पहले....

मेरे जीवन में मेरे राम का ‘जन्म’ होना चाहिए मतलब मातृतत्त्व सक्रिय होना चाहिए और सद्गुरुतत्त्व सक्रिय हुए बिना मातृतत्त्व सक्रिय नहीं होता।

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